नमो रत्न त्रायाय।
नमः आर्य अवलोकितेश्वराय।
बोधिसत्त्वाय महासत्त्वाय महाकरुणिकाय
सर्वबन्धन चेदान कराय।
सर्व भव समुद्राम सोसन करण।
सर्व व्याधि प्रसामना कराय।
सर्व मृत्यु उप-द्रव वियानसन करण।
सर्व भाये सु त्राण कराय।
तस्मै नमः – कृत्वा इदम्
आर्य अवलोकितेश्वर भस्तीनं नीलकण्ठ।
पि नमो हृदयम् अवरत इस्यामी।
सर्वार्थ-साधनं सुभं अजयम्
सर्व भूतानं भव मार्ग विशुद्धकं।
ताद्यथा, ॐ आलोके आलोक-मति लोकति क्रन्ते।
सः हरे आर्य अवलोकितेश्वरः।
महा बोधिसत्त्व, हे बोधिसत्त्व, २.
हे महा बोधिसत्त्व, हे वीर्य बोधिसत्त्व,
सः महाकरुणिका स्मरा ह्रदयम्।
हि हि, हरे आर्य अवलोकितेश्वर महेश्वर परम।
मैत्र-सित महाकरुणिका।
कुरु कुरु कर्मण।
साधय साधनाय विद्यां।
नि हि , नि हि वर्णं कामं-खेलम्।
वित्त-कामा विगम।
सिद्ध योगेश्वर ।
धुरु धुरु वीरयन्ती, महा विरयन्ती।
धरा धारा धरेन्द्रेश्वर।
कला कला विमला अमला मुर्ते।
आर्य अवलोकितेश्वर जिन कृष्ण जटा-मकुट।
वालं मा प्र-लम्ब महा सिद्ध
विद्या धर
वर वर महा वर।
बाला बाला महा बाला।
कला कला महा कला।
कृष्ण-वर्णनिघा कृष्ण – पक्ष निर्घाटन।
सः पद्म-हस्ता कार कार देसा।
कारेश्वर कृष्ण –सर्प कृत यज्ञोपवीता
एहेहि महा वराह-मुखा,त्रिपुरा-दहनेश्वर।
नारायण वा रूपा वर मार्गा अरि।
सः नीलकण्ठः , हे महाकरः , .
Hala hala Visa निर्-जिता लोकस्य।
राग वीजा विनासन।
द्वेसा वीजा विनासन ।
मोह वीजा विनासन।
हुरु हुरु माला, ९.
हुरु हुरु हरे, ९.
महा पद्मनाभ
सारा सारा , श्री श्री , Suru Suru.
भू रुच भू रुच् ।
बुद्धिया बुद्धिया, ९.
बोधाय बोधाय ।
मैत्री नीलकण्ठ एहेहि वामा।
शिठा सिंह-मुखा हसा हासा, ८.
मुंका मुञ्चा महत्तहसं एहीयेहि पा.
महा सिद्ध योगेश्वर।
भाना भाना वाको।
साधय साधनाय विद्यां।
स्मरा स्मरातं भगवन्तं लोकिता।
विलोकितं लोकेश्वरं तथागतं ददाहि।
मे द्रासना कामस्य दर्शनम्।
प्र-हियादाय मन स्वाहा।
सिद्धाय स्वाहा ।
महा सिद्धाय स्वाहा
सिद्ध योगेश्वराय स्वाहा।
नीलकण्ठाय स्वाहा ।
वराह-मुखाय स्वाहा
महा-दर सिंह-मुखाय स्वाहा।
सिद्ध विद्याधराय स्वाहा।
पद्म-हस्ताय स्वाहा
कृष्ण-सर्प कृत यज्ञोपवीताय स्वाहा।
महा लकुटादहराय स्वाहा।
चक्रयुद्धाय स्वाहा
सांखा-सब्दानी बोधनाय स्वाहा।
वाम स्कन्धदेश शिठा कृष्णजिनाय स्वाहा।
व्याघ्र-कर्म निवासनाय स्वाहा
लोकेश्वराय स्वाहा।
सर्व सिद्धेश्वराय स्वाहा।
नमो भगवते आर्य अवलोकितेश्वराय बोधिसत्त्वये
महासत्वाय महाकरुणिकाय।
सिध्यन्थु मे मन्त्र-पदाय स्वाहा।
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